आर्थिक सर्वेक्षण का सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में क्या योगदान है।
यूपीएससी परीक्षा की तैयारी में आर्थिक सर्वेक्षण की भूमिका
सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में आर्थिक सर्वेक्षण का योगदान प्रत्येक
उम्मीदवार समझता है और यहां, इस लेख में हम यह जानेंगे कि यह कब जारी किया जाता
है, आर्थिक सर्वेक्षण क्या होता है, इसे कौन जारी करता है, यह कैसे काम करता
है, और यूपीएससी परीक्षा के वर्तमान मामलों की तैयारी में यह एक उपयोगी भूमिका
निभाता है।
आर्थिक सर्वेक्षण क्या है?
- आर्थिक सर्वेक्षण वित्त मंत्रालय, भारत सरकार का एक प्रमुख वार्षिक दस्तावेज है, जो पिछले वर्ष (12 महीने) से भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास का मूल्यांकन करता है।
- आर्थिक सर्वेक्षण एक समीक्षा दस्तावेज है जो देश की आर्थिक पृष्ठभूमि की एक संक्षिप्त तस्वीर प्रस्तुत करता है। यह आम तौर पर विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक विकास की एक विस्तृत रूपरेखा देता है और आवश्यक विकास उपायों का प्रस्ताव करता है।
- आम तौर पर, केंद्रीय बजट की घोषणा के एक दिन पहले आर्थिक सर्वेक्षण जारी किया जाता है।
आर्थिक सर्वेक्षण कब जारी होता है?
- आम तौर पर, हर साल आर्थिक सर्वेक्षण जारी किया जाता है और इसे बजट से एक दिन पहले प्रस्तुत किया जाता है।
- उदाहरण के लिए इस वित्तीय वर्ष का यूनियन बजट 1 फरवरी, 2017 को प्रस्तुत किया गया था और आर्थिक सर्वेक्षण 31 जनवरी 2017 को जारी किया गया था।
आर्थिक सर्वेक्षण कौन प्रस्तुत करता है?
- आर्थिक सर्वेक्षण भारत सरकार (भारत के वित्त मंत्रालय) के मुख्य आर्थिक सलाहकार द्वारा हर साल संसद में प्रस्तुत किया जाता है।
- इस साल आर्थिक सर्वेक्षण 2017 में अरविंद सुब्रमण्यम (भारतीय अर्थशास्त्री) ने और भारत सरकार के वर्तमान मुख्य आर्थिक सलाहकार द्वारा प्रस्तुत किया था
- वर्ष के दौरान अरविंद सुब्रमण्यम और उनकी टीम ने बजट सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों को आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 के दस्तावेज पेश किए।
आर्थिक सर्वेक्षण का महत्व
- आर्थिक सर्वेक्षण पिछले वर्ष की भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास का विश्लेषण करता है और प्रमुख विकास नीतियों पर प्रदर्शन की एक रूपरेखा देता है तथा सरकार की नीतिगत पहल और अर्थव्यवस्था के को दर्शाता है।
- इसके अलावा, आर्थिक सर्वेक्षण में सुझाए गए मुद्दों और सुझावों को भविष्य में सरकार द्वारा लागू किया जाता है।
- उदाहरण के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, जिसे पिछले आर्थिक सर्वेक्षणों में सुझाया गया था, सरकार ने अब लागू किया है।
- आर्थिक सर्वेक्षण विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक विकास के अधार पर विशिष्ट क्षेत्रों में मुद्दों का समस्त सारांश देता है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 की कुछ मुख्य बातें
- आर्थिक सर्वेक्षण की कुछ प्रमुख सिफारिशों में यूनिवर्सल बेसिक आय हैं, जो कि एक सामाजिक सुरक्षा का एक स्वरूप बन सकता है जिसे व्यक्तियों को दिया जा सकता है।
- यूनिवर्सल बेसिक आय: एक मूल आय (unconditional basic income, Income, basic income guarantee, universal basic income or universal demogrant) एक सामाजिक सुरक्षा का एक विकल्प है जिसमें सभी नागरिक या देश के निवासियों को सरकार या किसी अन्य सार्वजनिक संस्था से नियमित रूप से बिना शर्त धनराशि प्राप्त होती है, किसी अन्य आय से प्राप्त आय के अलावा।
- बैंक लेनदेन कर (बीटीटी): यह बैंक खातों पर डेबिट और / या क्रेडिट प्रवेश पर लगाया गया कर है। बीटीटी से लाभ अवैध कैश होल्डिंग्स, आयकर को हटाने, हालिया डिमोनेटिज़ेशन पहल के साथ कॉर्पोरेट टैक्स को कम करने में होगा।
यूपीएससी के वर्तमान मामलों की तैयारी के लिए आर्थिक सर्वेक्षण का महत्व
सिविल सेवा आईएएस परीक्षा के लिए यूपीएससी के वर्तमान मामलों की तैयारी में आर्थिक सर्वेक्षण अपना एक महत्वपूर्ण हिस्सा निभाता है। आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट देश की अर्थव्यवस्था की घटनाओं के बारे में बताती है, इसलिए यह यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा और यूपीएससी पाठ्यक्रम के एक हिस्से के रूप में महत्वपूर्ण हो जाती है।
जैसा कि आर्थिक सर्वेक्षण दस्तावेज भारतीय अर्थव्यवस्था को जानने का एक प्रमुख स्रोत है जो विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक प्रगति ले मूल्यांकन को दर्शाता है, और यह यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के निबंध पत्र के लिए भी एक प्रभावी और उपयोगी स्रोत भी बन गया है। यदि हम पिछले साल यूपीएससी प्रश्न पत्र को विश्लेषण के साथ एक देखें तो यह पत लगा सकते हैं कि अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से लगभग 5-6 सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा पूछे गये हैं।
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