आईएएस मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम: असमिया

Union Public Service Commission

सिविल सेवा मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम

 असमिया (साहित्य विषय)

प्रश्न-पत्र-I

नोट: उत्तर असमिया में लिखने होंगे।

खंड-क (भाषा)

  1. असमिया भाषा के उद्गम और विकास का इतिहास-भारतीय आर्य भाषाओं में उसका स्थान-इसके इतिहास के विभिन्न काल-खंड
  2. असमिया गद्य का विकास।
  3. असमिया भाषा के स्वर और व्यंजन-प्राचीन भारतीय आर्यों से चली आ रही असमिया पर बालाघाट के साथ स्वनिक परिवर्तन के नियम।
  4. असमिया शब्दावली एवं इसके स्त्रोत।
  5. भाषा का रुप विज्ञान-क्रिय रुप-पूर्वाश्रयी निर्देशन एंव अधिकपदिय पर प्रत्यय।
  6. बोलीगत वैविध्य-मानक बोलचाल एवं विशेष रुप से कामरुपी बोली।
  7. उन्नीसवीं शताब्दी तक विभिन्न युगों में असमिया लिपियों का विकास।

खंड-ख (साहित्यिक आलोचना और साहित्यिक इतिहास)

  1. साहित्यिक आलोचना के सिद्धांत, नई समीक्षा।
  2. विभिन्न साहित्यिक विधाएं।
  3. असमिया में साहित्यिक रुपों का विकास।
  4. असमिया में सहित्यिक आलोचना का विकास।
  5. चर्यागीतों के काल से असमिया साहित्य के इतिहास की बिल्कुल प्रारंभिक प्रवृतियां और उनकी सामाजिक-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि : आदि असमिया शंकरदेव से पहले-शंकरदेव-के बाद-आधुनिक काल (ब्रिटिश आगमन के बाद से) स्वातंत्र्योत्तर काल। वैष्णव काल, गोनाकी एवं स्वातंत्र्योत्तर काल पर विशेष बल दिया जाना है।

प्रश्न-पत्र-II

नोट: इस प्रश्न-पत्र में निर्धारित मूल पाठ्य-पुस्तकों को पढ़ना अपेक्षित होगा और ऐसे प्रश्न पूछे जाएंगे जिनसे अभ्यर्थी की आलोचनात्मक योग्यता की परीक्षा हो सके। उत्तर असमिया में लिखने होंगे।

खंड-क

रामायाण (केवल अयोध्या कांड) - माधव कंदमी द्वारा
पारिजात-हरण - शंकरदेव द्वारा
रासक्रीड़ा - शंकरदेव द्वारा (कीर्तन घोष से)
बरगीत - माधवदेव द्वारा
राजसुय - माधवदेव द्वारा
कथा - भागवत (पुस्तक 1 एवं 2) बैकुण्ठनाथ भट्टाचार्य द्वारा गुरु चरित-कथा (केवल शंकरदेव का भाग) - संपादक : महेश्वर नियोग।

खंड-ख

मोर जीवन    स्मरण लक्ष्मीनाथ बेज़बरुआ द्वारा
कृपाबर बराबरुआ काकतर तोपोला - लक्ष्मीनाथ बेज़बरुआ द्वारा
प्रतिमा - चन्द्र कुमार अगरवाला
गांवबूढ़ा - पद्मनाथ गोहेन बरुआ द्वारा
मनोमती - रजनीकांत बोरदोलोई द्वारा
पुरणी असमिया साहित्य - बानीकांत काकती द्वारा
कारिआंग लिगिरी - ज्योति प्रसाद अगरवाला द्वारा
जीबनार बातत  - बीना बरुआ (बिरिंचि कुमार बरुआ द्वारा)
मृत्युत्रजय - बीरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य द्वारा
सम्राट - नवकांत बरुआ द्वारा।


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