प्रारंभिक परीक्षा : सामान्य अध्ययन (प्राचीन भारतीय इतिहास) पाषाण युग की संस्कृति व जीवन-शैली - भाग - १
भारतीय इतिहास:
पाषाण युग की संस्कृति व जीवन-शैली
(Culture or Lifestyle of the Stone Age)
पुरापाषाण काल : शिकारी और खाद्द संग्राहक (Palaeolithic Age: Hunters and Food Gatherers)
अपवाद स्वरूप दक्कन के पठार में मध्य पुरापाषाण काल और उच्च पुरापाषाण काल दोनों के औजार मिलते है। पुरापाषाण संस्कृति का उदय अभिनूतन युग में हुआ था। इस युग में धरती बर्फ से ढँकी हुई थी। भारतीय पुरापाषाण काल को मानव द्धारा इस्तेमाल किये जाने वाले पत्थर के औजारों के स्वरुप और जलवायु में होने वाले परिवर्तन के आधार पर तीन अवस्थाओ में बाँटा जाता है:
(क) निम्न पुरापाषाण काल (500000 ई. पू. से 50000 ई.पू. के मध्य )
(ख) मध्य पुरापाषाण काल ( 50000 ई.पू. से 40000 ई.पू. के मध्य )
(ग) उच्च पुरापाषाण काल (40000 ई.पू. से 10000 ई.पू. के मध्य )
पुरापाषाण काल के औजार (Palaeolithic Tools)
काल |
औजार (मुख्य) |
निम्न पुरापाषाण काल |
हाथ की कुल्हाड़ी , तक्षणी, काटने का औजार |
मध्य पुरापाषाण काल |
काटने वाले औजार (फलक, वेधनी, खुरचनी) |
उच्च पुरापाषाण काल |
तक्षणी और खुरचनी |
प्रमुख केन्द्र
- निम्न पुरापाषाण काल : उत्तर- पश्चिम में सोहन (पाकिस्तान के सोहन नदी के किनारे) अथवा पेबुल - चॉपर चॉपिंग संस्कृति और दक्षिण भारत की हैण्डएक्सक्लीवर (संस्कृति) । इसके अलावा भीमबटेका (म. प्र.), बेलन घाटी (उ.प्र.) इत्यादि ।
- मध्य पुरापाषाण काल : बेतवा घाटी, सोन घाटी (म.प्र.), कृष्ण घाटी (कर्नाटक), बेलन घाटी (उ.प्र.), नेवासा (महाराष्ट्र) इत्यादि ।
- उच्च पुरापाषाण काल : बेलन घाटी (उ.प्र.), रेनीगुंटा (आ.प्र.), सोन घाटी (म.प्र.),सिंह भूमि (बिहार) इत्यादि ।
विश्व संदर्भ में पुरुपाषाण संस्कृति चार भागों में वर्गीकृत है:
1 |
एवेविबियन संस्कृति |
निम्न पुरापाषाण काल से संबद्ध |
2 |
एश्यूलियन संस्कृति |
निम्न पुरापाषाण काल से संबद्ध |
3 |
मुस्तारियन संस्कृति |
मध्य पुरापाषाण काल से संबद्ध |
4 |
मैग्दालियन संस्कृति |
उच्च पुरापाषाण काल से संबद्ध |
प्रमुख तथ्य
- बेलन और नर्मदा घाटी में पाषाण युग की सभी अवस्थाएँ क्रमवार तरीके से विकसित हुई है।
- गंगा, यमुना और सिंध के मैदानी इलाकों से उच्च पुरापाषाण युग की कोई जानकारी नहीं मिलती है।
- पुरापाषाण युग से पशुओं के जीवाश्म मिले है, परंतु मानव के नहीं । अपवादस्वरूप - नर्मदा नदी घाटी के हथनौर (मध्य प्रदेश) नामक स्थान से एक मानव का कपाल मिला है जिनका सबंधं उच्च पुरापाषाण से स्थापित किया जाता है।
- मध्य पुरापाषाण काल में हथियार बनाने में क्वार्टजाइट की जगह जैस्पर, चर्ट इत्यादि चमकीले पत्थरों का प्रयोग शुरू हुआ । इस कारण इसे 'फलक - संस्कृति' भी कहते है।
सामुदायिक जीवन का विकास उत्तर पुरा पाषाण काल में अधिक सुद्ढ हुआ। अनेक व्यक्ति समूहों या कुलों में रहते थे जिससे परिवार जैसी संस्था के उदय का मार्ग प्रशस्त हुआ। इस काल में लैगिक आधार पर भरम विभाजन प्रारंभ हो चुका था। गुफाओं के अतिरिक्त झोपड़ियो का उपयोग आवास के रूप में किया गया। गुफा चित्रकला से ज्ञात होता है की लोग पशु चर्म का उपयोग वस्त्र के रूप में करते थे। भारत में आदिम मानव अपरिष्कृत औजारों का प्रयोग करते है। तराशे हुए पत्थरों के औजार और फोड़ी हुई गिटिट्यो से वे शिकार करते थे, पेड़ काटते थे तथा अन्य कार्य भी करते थे। इस काल में मानव अपनी खाद्य सामग्री कठिनाई से ही एकत्र कर पता था और शिकार से अपना जीवन- यापन करता था।
पुरापाषाण काल (500000 ई.पू. से 10000 ई.पू. के मध्य ) (Palaeolithic Age between 500000 BC and 10000 BC)
तथ्य |
जानकारी |
कृषि |
नहीं |
आग |
नहीं |
स्थायी आवास |
नहीं |
बर्तन |
नहीं |
पशुपालन |
नहीं |
कपड़ा |
नहीं |
जीवन शैली |
बड़े-बड़े जानवरों का शिकार खाद्द संग्रह करते थे। उत्पादक नहीं बल्कि उपभोक्ता |
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