प्रारंभिक परीक्षा : सामान्य अध्ययन (राज्यव्यवस्था) - भारतीय संविधान के स्रोत
राज्यव्यवस्था : भारतीय संविधान के स्त्रोत
हमारे संविधान के विशालतम होने के प्रमुख कारण।
- संविधान निर्माता हर विषय को स्पष्टता के साथ रखना चाहते थे, ताकि भविष्य में विवाद कम हों।
- भारत के संविधान में प्रांतों का संविधान भी शामिल है, जो इसे व्यापक बना देता है।
- भारत में भाषायी बहुलता।
- भारतीय समाज में अस्पष्यता, अनुसूची जाति / जनजाति से संबंधित परिस्थितियों ने संविधान की व्यापकता में योगदन दिया है।
The Constitution of India is the longest written constitution of any sovereign country in the world, containing 444 articles in 22 parts, 12 schedules and 118 amendments, with 146,385 words in its English-language version, while the Constitution of Monaco is the shortest written constitution, containing 10 chapters with 97 articles, and a total of 3,814 words. Source: Wikipedia
भारतीय संविधान के स्त्रोत (Sources of Indian Constitution)
भारतीय संविधान के लिये आलोचकों के मत
- उधार के सामान की बोरी
- भानुमति का पिटारा
- अमौलिक है इत्यादि..
मौलिकता के पक्ष में मत
- मौलिकता का अर्थ बिल्कुल नई बात करना नहीं है बल्कि समाज, विज्ञान, दर्शन व संविधान के क्षेत्र में पुरानी नये प्रकार से कहना भी मौलिकता ही है।
- हमारे संविधान में ऐसे अनेक प्रावधान हैं जो किसी से नही लिये गये, जैसे धार्मिक बहुलता, भाषायी बहुलता, अनुसूची जाति / जनजाति से संबंधित प्रावधान।
- हमने विश्व के प्रमुख संविधानो से प्रेरणा जरूर ली, प्रावधान भी लिये पर भारत की आवश्यकतानुसार उनमें परिवर्तन भी किये।
- भारतीय संविधान सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार को मान्यता देता है (जो कि 18 वर्ष है)।
- भारतीय संविधान एकदल नागरिकता को स्वीकारता है तथा लोक प्रभुता आधारित है।
- नागरिक मौलिक अधिकारों, कर्तव्यों को स्वीकारता है।
- हमारे संविधान में संसद व न्यायालय की सर्वोच्चता के बीच में मध्यमार्ग निकाला है व संविधान की सर्वोच्चता को स्वीकारा है।
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