यूपीएससी आईएएस (मेन) 2017 - दर्शनशास्त्र (वैकल्पिक विषय) प्रश्न पत्र - 1
संघ लोक सेवा आयोग : सिविल सेवा मुख्य परीक्षा दर्शनशास्त्र (प्रथम प्रश्नपत्र )
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Marks: 250
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Time Allowed: 3 Hours
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Exam Name: UPSC Civil Services Main Philosophy Optional Exam
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Exam Year: 2017
प्रश्न पत्र (खण्ड A)
प्रश्न संख्या - 1: निम्निलिखित में से प्रत्येक का लगभग 150 शब्दों में उत्तर
दीजिए:
(a) हेगेल के इस कथन की व्याख्या कीजिए: "समस्त अभेद, अभेदाभेद हैं ।"
(b) संवृतिशास्त्रीय अपचयवाद के समर्थन में हुसर्ल की तर्कबुद्धि की व्याख्या कीजिए
।
(c) 'मै एक मनुष्य से मिला' यह कथन कैसे रसेल के लिये शब्दार्थक दृष्टि से
समस्यापरक हैं? रसेल इस कथन की सार्थकता का विवरण कैसे देते हैं?
(d) किस अर्थ मे प्रत्यय अंतर्यामी और इंद्रियातीत दोनों ही हो सकते है? इस संदर्भ
मे प्लेटो के सामान्य और विशेषो के सिद्धांत की विवेचना कीजिए।
(e) कैसे ह्यूम के अनुभव का विश्लेषण किसी स्थायी सत, चाये वह भौतिक हो या मानसिक,
मे विश्वास के लिये कोई आधार नहीं छोड़ता हैं।
प्रश्न संख्या - 2
(a) कैसे 'सभी देह विस्तारित हैं' - एक विश्लेषणात्मक निर्णय है, किन्तु 'सभी देह
भारी है' एक संश्लेषणात्मक निर्णय हैं ? क्या 'प्रत्येक घटना का एक कारण हैं'- एक
विश्लेषणात्मक अथवा एक संशलेषणात्मक निर्णय? व्याख्या कीजिये।
(b) विट्गेंस्टाइट का अर्थ चित्र सिद्धान्त क्या है ? उसके द्धारा इस सिद्धान्त को
छोड़ने तथा अर्थ के उपयोग सिद्धान्त को प्रस्तावित करने के क्या कारण हैं?
(c) अरस्तू के आकार और भौतिक द्रव्य के सिद्धान्त की व्याख्या कीजिये। यह अरस्तू को
कैसे परिवर्तन (गति) एवं स्थातित्व की समस्या के समाधान के लिये समर्थ बनाता है?
प्रश्न संख्या - 3
(a) कांट के डिक्र एवं काल के सिद्धान्त की व्याख्या कीजिये। यह सिद्धान्त कांट
को यह व्याख्या करने मे कैसे समर्थ बनाना हैं कि गणितीय प्रतिजापतियाँ
संश्लेषणात्मक और अनुबवनिर्पेक्ष दोनों हो सकती हैं?
(b) देकार्त के अनुसार एक 'स्पष्ट और सुभित्र प्रत्यय' क्या है? स्पष्ट और सुभित्र
प्रत्ययों की ज्ञानमीमांसीय स्थिति क्या है? क्या यह विवरण भौतिक पदार्थो के
अस्तित्व को सिद्ध करने मे देकार्त का सहायक है? व्याख्या कीजिए।
(c) इन्द्रियानुभववाद के दो हठधर्म क्या है, जिन पर क्वाइन प्रहार करता है? द्वितीय
हठधर्म के विरुद्ध उसके तर्क क्या है?
प्रश्न संख्या - 4
(a) लॉक किस प्रकार मूल गुणों और गौण गुणों के बीच भेद करता है? क्या वह मूल
गुणों के प्रत्यय और मूलगुणों के साथ साथ गौण गुणों के प्रत्यय और गौण गुणों के बीच
भी भेद करता है? विवेचना कीजिए।
(b) 'जो भी रंगीन है वह विस्तृत है' , क्या यह वाक्य तार्किक प्रत्यक्षवादियो की
अर्थपूर्णता की कसौटी को संतुष्ट करता है? व्याख्या कीजिए।
(c) हाइडेगर की प्रमाणिकता की अवधारणा का विवेचन कीजिये और व्याख्या कीजिये कि कैसे
एक अप्रमाणिक डिजाइन खोयी आत्मा को पुनः प्राप्त करता है?
प्रश्न पत्र (खण्ड B)
प्रश्न संख्या - 5 : निम्लिखित में प्रत्येक का
लगभग 150 शब्दों में संक्षिप्त उत्तर दीजिये:
(a) चैतन्य से विशिष्ट देह के अतिरिक्त आत्मा कुछ नहीं है। इस मत को स्वीकार
करने में चावार्क के क्या तर्क है?
(b) वैशेषिक दर्शन के अनुसार पदार्थ के आवश्यक लक्षण क्या है?
(c) न्याय दर्शन में प्रतिपादित वैध हेतु (वैलिड हेतु) की उपाधियों की व्याख्या
कीजिये।
(d) योगश्चित्तवृत्तिनिरोध : से क्या तात्पर्य है ? चित्तवृत्ति तथा उसके प्रभावों
की योग दर्शन के अनुसार व्याख्या कीजिये।
(e) माध्यमिकों के अनुसार सत के स्वरुप की व्याख्या करने में चतुष्कोटि की भूमिका
की व्याख्या कीजिये।
प्रश्न संख्या - 6
(a) प्रत्यक्ष की प्राचीन न्याय परिभाषा की व्याख्या कीजिये। इस परिभाषा को
परवर्ती न्याययिको द्वारा क्यों अपर्याप्त माना गया है ।
(b) जैन तत्वमीमांसा सापेक्षवादी एव वस्तुवादी बहुतत्ववाद है। विवेचना कीजिये।
(c) क्षणिकवाद को सुस्थापित करने के लिए बौद्धों के तर्क क्या है? क्या ये तर्क
अनिवार्यत: कृतप्रणाश (कृतनाश) और अकृताभ्युपगम की और ले जाते है?
प्रश्न संख्या - 7
(a) माध्यमिक, योगाचारवादी एवं सर्वास्तिवादी सत के स्वरुप के सम्बन्ध में कैसे
भिन्न मत रखते है? सर्वास्तिवादी कैसे अपने में सत की सुविज्ञता के विषय में भिन्न
मत रखते है?
(b) अतिमानसिक चेतना की अनुभूति में श्री अरविन्द का समग्र्योग कैसे सहायक है?
विवेचना कीजिये।
(c) विवर्तवाद एवं परिणामवाद के बीच कार्यकारण - भाव के सन्दर्भ में भेद स्पष्ट करे
तथा इन सिधान्तो के आलोक में शंकर एवं रामानुज, जगत की स्थिति (स्टेटस) के सम्बन्ध
में कैसे भिन्न मत रखते है, व्याख्या कीजिये।
प्रश्न संख्या - 8
(a) मीमांसकों के अनुसार ज्ञान के प्रामाण्य सिद्धांत (प्रमाण्यवाद) की व्याख्या
कीजिये। न्याय के प्रामाण्य सिद्धांत की आलोचना मीमांसक कैसे करते है?
(b) ईश्वर के प्रति रामानुज के संप्रत्यय की व्याख्या कीजिये और उन कठिनाईयों की
जांच कीजिये जो भौतिक द्रव्य एवं चित की ईश्वर के साथ सम्बद्ध की व्याख्या करते समय
उनके सामने आयी।
(c) अपने कार्यकारण - भाव के सिद्धांत के आलोक में क्या सांख्य दर्शन के लिए जगत
में चेतना की उपस्थिति की व्याख्या करना संभव है? विवेचना कीजिये।
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