मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम: पशुपालन एवं पशुचिकित्सा विज्ञान (वैकल्पिक विषय)
सिविल सेवा मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम
पशुपालन एवं पशुचिकित्सा विज्ञान (वैकल्पिक विषय)
प्रश्न पत्र - 1
1. पशु पोषण
1.1 पशु के अन्दर खाद्य ऊर्जा का विभाजन। प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष ऊष्मामिति। कार्बन- नाइट्रोजन संतुलन एवं तुलनात्मक वध विधियाँ। रोमंधी पशुओं, सुअरों एवं कुक्कुटों में खाद्य का ऊर्जामान व्यक्त करने के सिद्धांत अनुरक्षण, वृद्धि, सगर्भता, स्तन्य स्राव तथा अंडा, ऊन, एवं मांस उत्पादन के लिए ऊर्जा आवश्यकताएं।
1.2 प्रोटीन पोषण में नवीनतम प्रगति। ऊर्जा- प्रोटीन संबन्ध। प्रोटीन गुणता का मूल्यांकन। रोमंथी आहार में NPN यौगिकों का प्रयोग। अनुरक्षण, वृद्धि सगर्भता, स्तन्य स्राव तथा अंडा, ऊन, एवं मांस उत्पादन के लिए प्रोटीन। आवश्यकताएं।
1.3 प्रमुख एवं लेश खनिज-उनके स्रोत, शरीर क्रियात्मक प्रकार्य एवं हीनता लक्षण। विषैले खनिज। खनिज अंतः क्रियाएं। शरीर में वसा-घुलनशील तथा जलघुलनशील खनिजों की भूमिका, उनके स्रोत एवं हीनता लक्षण।
1.4 आहार संयोजी-कीथेन संदमक, प्राबायोटिक, एन्जाइम, ऐन्टिबायोटिक, हार्मोन्स, ओलिगो शर्कराइड, ऐन्टिऑक्सडेंट, पायसीकारक, संच संदमक, उभयरोधी, इत्यादि। हार्मोन्स एवं ऐन्टिबायोटिक्स जैसे वृद्धिवर्धकों का उपयोग एवं दुष्प्रयोग-नवीनतम संकल्पनाएं।
1.5 चारा संरक्षण। आहार का भंडारण एवं आहार अवयव। आहार प्रौद्योगिकी एवं आहार प्रसंस्करण में अभिनव प्रगति। पशु आहार मे उपस्थित पोषणरोधी एवं विषैले कारक आहार विश्लेषण एवं गुणता नियंत्रण। पाचनीयता अभिप्रयोग- प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष एवं सूचक विधियां। चारण पशुओं में आहार ग्रहण प्रागूक्ति।
1.6 रोमंथी पोषण में हुई प्रगति। पोषक तत्व आवश्कताएं। संतुलन राशन। बछ्ड़ों, सगर्भा, कामकाजी पशुओं एवं प्रजनन सांडो का आहार। दुधारू पशुओं को स्तन्य स्राव चक्र की विभिन्न अवस्थाओं के दौरान आहार देने की युक्तियां। दुग्ध संयोजन आहार का प्रभाव। मांस एवं दुग्ध उत्पादन के लिए बकरी\बकरे का आहार। मांस एवं ऊन उत्पादन के लिए भेड़ का आहार।
1.7 शूकर पोषण। पोषक आवश्यकताएं। विसर्पी, प्रवर्तक, विकासन एवं परिष्कारण राशन। बेचरबी मांस उत्पादन हेतु शूकर- आहार। शूकर के लिए कम लागत के राशन।
1.8 कुक्कुट पोषण। कुक्कुट पोषण के विशिष्ट लक्षण। मांस एवं अंडा उत्पादन हेतु पोषक आवश्यकताएं। अंडे देने वालों एवं ब्रौलरों की विभिन्न श्रेणियों के लिए राशन संरूपण।
2. पशु शरीर क्रिया विज्ञान
2.1 रक्त की कार्यिकी एवं इसका परिसंचरण, श्वसन, उत्सर्जन। स्वास्थ्य एवं रोगों में अंतः स्रावी ग्रंथि।
2.2 रक्त के घटक- गुणधर्म एवं प्रकार्य- रक्त कोशिका रचना हीमोग्लोबिन संश्लेषण एवं रसायनकी -प्लाज्मा प्रोटीन उत्पादन ,वर्गीकरण एवं गुणधर्म, रक्त का स्कंदन: रक्त स्रावी विकार-प्रतिस्कंदक- रक्त समूह-रक्त मात्रा- प्लाज्मा विस्तारक- रक्त में उभयरोधी प्रणाली। जैव रासायनिक परीक्षण एवं रोग -निदान में उनका महत्व।
2.3 परिसंचरण- हृदय की कार्यिकी, अभिहृदय चक्र, हृदध्वनि, हृदस्पंद, इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम। हृदय का कार्य और दक्षता-हृदय प्रकार्य में आयनों का प्रभाव- अभिहृद पेशी का उपापचय, हृदय का तंत्रिका- नियमक एवं रासायनिक नियम, हृदय पर ताप एवं तनाव का प्रभाव, रक्त दाब एवं अतिरिक्त दाब , परासरण -नियमन, धमनी स्पंद, परिसंचरण का वाहिका प्रेरक नियमन, स्तब्धता। हृद एवं फुप्फुस परिसंचरण, रक्त मस्तिष्क रोध-मस्तिष्क तरल-पक्षियों में परिसंचरण।
2.4 श्वसन-श्वसन क्रिया विधि, गैसों का परिवहन एवं विनिमय-श्वसन का तंत्रिका नियंत्रण, रसोग्राही, अल्पआक्सीयता, पक्षियों में श्वसन।
2.5 उत्सर्जन -वृक्क की संरचना एवं प्रकार्य- मूत्र निर्मांण-वृक्क प्रकार्य अध्ययन विधियां -वृक्कीय-अम्ल क्षार- संतुलन नियमन: मूत्र के शरीर क्रियात्मक घटक -वृक्क पात-निश्चेष्टा शिरा रक्ताधि क्य-चूजों में मूत्र स्त्रवण-स्वेदग्रंथियां एवं उनके प्रकार्य। मूत्रीय दुष्क्रिया के लिए जैवरासायनिक परीक्षण।
2.6 अंतः स्रावी ग्रंथियां- प्रकार्यात्मक दुष्क्रिया उनके लक्षण एवं निदान। हार्मोनो का संश्लेषण, स्रवण की क्रियाविधि एवं नियंत्रण-हार्मोनीय-ग्राही- वर्गीकरण एवं प्रकार्य।
2.7 वृद्धि एवं पशु उत्पादन-प्रसव पूर्व एवं प्रसव पश्चात वृद्धि , परिपक्वता, वृद्धिवक्र , वृद्धि के माप , वृद्धि को प्रभावित करने वाले कारक ,कन्फार्मेशन , शारीरिक गठन, मांस गुणता।
2.8 दुग्ध उत्पाद की कार्यिकी\जनन एवं पाचन -स्तन विकास के हार्मोनीय नियंत्रण की वर्तमान स्थिति, दुग्ध स्त्रवन एवं दुग्ध निष्कासन, नर एवं मादा जनन अंग, उनके अवयव एवं प्रकार्य। पाचन अंग एवं उनके प्रकार्य।
2.9 पर्यावरण कार्यिकी- शरीर क्रियात्मक सम्बन्ध एवं उनका नियमन, अनुकूलन की क्रिया विधि, पशु व्यवहार में शामिल पर्यावरणीय कारक एवं नियात्मक क्रियाविधियां, जलवायु विज्ञान-विभिन्न प्राचल एवं उनका महत्व। पशु पारिस्थितिकी। व्यवहार की कार्यिकी। स्वास्थ्य एवं उत्पादन पर तनाव का प्रभाव।
3. पशु जनन
वीर्य गुणता संरक्षण एवं कृत्रिम वीर्यरोचन- वीर्य के घटक, स्पर्मेटाजोआ की रचना, स्खलित वीर्य का भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्म, जीवे एवं पात्रे वीर्य को प्रभावित करने वाले कारक। वीर्य उत्पादन एवं गुणता को प्रभावित करने वाले कारक। संरक्षण , तनुकारकों की रचना, शुक्राणु संकेन्द्रण, तनुकृत वीर्य का परिवहन। गायों,भेड़ों, बकरों,। शूकरों एवं कुक्कुटों में गहन प्रशीतन क्रिया-विधियां। स्त्रीमद की पहचान तथा बेहतर गर्भाधान हेतु वीर्यसेचन का समय। अमद अवस्था एवं पुनरावर्ती प्रजनन।
4. पशुधन उत्पादन एवं प्रबंध
4.1 वाणिज्यिक डेरी फार्मिंग-उन्नत देशों के साथ भारत की डेरी फार्मिंग की तुलना। मिश्रित कृषि के अधीन एवं विशिष्ट कृषि के रूप में डेरी उद्योग। आर्थिक डेरी फार्मिंग। डेरी फार्म शुरू करना, पूंजी एवं भूमि आवश्कताएं, डेरी फार्म का संगठन। डेरी फार्मिंग में अवसर, डेरी पशु की दक्षता को निर्धारित करने वाले कारक। यूथ अभिलेखन, बजटन, दुग्ध उत्पादन की लागत, कीमत निर्धारण नीति कार्मिक प्रबंध। डेरी गोपशुओं के लिए व्यावहारिक एवं किफायती राशन विकसित करना; वर्ष भर हरे चारे की पूर्ति डेरी फार्म हेतु आहार एवं चारे की आवश्कताएं। छोटे पशुओं एवं सांडों, बछियों एवं प्रजनन पशुओं के लिए आहार प्रवृत्तियां; छोटे एवं व्यस्क पशुधन आहार की नई प्रवृत्तियां, आहार अभिलेख।
4.2 वाणिज्यिक मांस, अंडा एवं ऊन उत्पादन-भेड़, बकरी, शूकर, खरगोश, एवं कुक्कुट के लिए व्यावहारिक एवं किफायती राशन विकसित करना। चारे, हरे चारे की पूर्ति, छोटे एवं परिपक्व पशुधन के लिए आहार प्रवृत्तियां। उत्पादन बढ़ाने एवं प्रबंधन की नई प्रवृत्तियां। पूंजी एवं भूमि आवश्कताएं एवं सामाजिक आर्थिक संकल्पना।
4.3 सूखा, बाढ़ एवं अन्य नैसर्गिक आपदाओं से ग्रस्त पशुओं का आहार एवं उनका प्रबंध।
5. आनुवंशिकी एवं पशु-प्रजनन
पशु आनुवंशिकी का इतिहास। सूत्री विभाजन एवं अर्धसूत्री विभाजन; मेंडल की वंशागति; मेंडल की आनुवंशिकी से विचलन; जीन की अभिव्यक्ति; सहलग्नता एवं जीन- विनिमय; लिंग निर्धारण, लिंग प्रभावित एवं लिंग सीमित लक्षण ; रक्त समूह एवं बहुरूपता; गुण्सूत्र विपथन; कोशिकाद्रव्य वंशागति। जीन एवं इसकी संरचना; आनुवंशिक पदार्थ के रूप में DNA; आनुवंशिक कूट एवं प्रोटीन संश्लेषण; पुनर्योगज DNA प्रौद्योगिकी। उत्परिवर्तन, उत्परिवर्तन के प्रकार, उत्परिवर्तन एवं उत्परिवर्तन दर को पहचानने की विधियां। पारजनन।
5.1 पशु प्रजनन पर अनुप्रयुक्त समष्टि आनुवंशिकी -मात्रात्मक और इसकी तुलना मे गुणात्मक विशेषक; हार्डी वीनबर्ग नियम ;समष्टि और इसकी तुलना मे व्यष्टि; जीन एवं जीन प्ररूप। बारंबारता; जीन बारंबारता को परिवर्तित करने वाले बल; यादृच्छिक अपसरण एवं लघु समष्टियां; पथ गुणांक का सिद्धांत; अंतः प्रजनन, अंतः प्रजनन गुणांक आकलन की विधियां, अंतः प्रजनन प्रणालियां, प्रभावी समष्टि आकार; विभिन्न्ता संवितरण; जीन प्ररूप X पर्यावरण सहसंबंध एवं जीन प्ररूप X पर्यावरण अंतः क्रिया; बहुमापों की भूमिका; संबंधियों के बीच समरूपता।
5.2 प्रजनन तंत्र- पशुधन एवं कुक्कुटों की नस्लें। वंशागतित्व, पुनरावर्तनीयता एवं आनुवंशिक एवं समलक्षणीय सहसंबंध, उनकी आकलन विधि एवं आकलन परिशुद्धि; वरण के साधन एवं उनकी संगत योग्यताएं; व्यष्टि,वंशावली कुल एवं कुलांतर्गत वरण; संतति, परीक्षण; वरण विधियां; वरण सूचकों की रचना एवं उनका उपयोग; विभिन्न वरण विधियों द्वारा आनुवंशिक लब्धियों का तुलनात्मक मूल्यांकन; अप्रत्यक्ष वरण एवं सहसंबंधित अनुक्रिया; अंतः प्रजनन, बहिःप्रजनन , अपग्रेडिंग, संकरण एवं प्रजनन संश्लेषण; अंतः प्रजनित लाइनों का वाणिज्यिक प्रयोजनों हेतु संकरण; सामान्य एवं विशिष्ट संयोजन योग्यता हेतु वरण; देहली लक्षणों के लिए प्रजनन। सायर इंडेक्स।
6. विस्तार
विस्तार का आधारभूत दर्शन, उद्देश्य, संकल्पना एवं सिद्धांत। किसानों को ग्रामीण दशाओं में शिक्षित करने की विभिन्न विधियां। प्रौद्योगिक पीढ़ी, इसका अंतरण एवं प्रतिपुष्टि प्रौद्योगिक अंतरण में समस्याएं एवं कठिनाइयां। ग्रामीण विकास हेतु पशुपालन कार्यक्रम।
प्रश्न पत्र - 2
श्रमिक: शरीर रचना विज्ञान, भेषज गुण विज्ञान एवं स्वास्थ्य विज्ञान
1.1 ऊतक विज्ञान एवं ऊतकीय तकनीकी: ऊतक प्रक्रमण एवं H.E. अभिरंजन की पैराफीन अंतः स्थापित तकनीक - हिमीकरण माइक्रोटीमी- सूक्ष्मदर्शिकी-दीप्त क्षेत्र सूक्ष्मदर्शी एवं इलेक्ट्रान सूक्ष्मदर्शी। कोशिका की कोशिका विज्ञान संरचना,कोशिकांग एवं अंतर्वेशन; कोशिका विभाजन-कोशिका प्रकार -ऊतक एवं उनका वर्गीकरण- भ्रूणीय एवं वयस्क ऊतक -अंगों का तुलनात्मक ऊतक विज्ञान - संवहनी। तंत्रिका, पाचन, श्वसन, पेशी कंकाली एवं जनन मूत्र तंत्र- अंतः स्रावी ग्रन्थियां अध्यावरण- संवेदी अंग।
1.2 भ्रूण विज्ञान - पक्षिवर्ग एवं घरेलू स्तनपायियों के विशेष संदर्भ के साथ कशेरूकियों का भ्रूण विज्ञान- युग्मक जनन- निषेचन जनन स्तर- गर्भ झिल्ली एवं अपरान्यास-गरेलू स्तनपायियों में अपरा के प्रकार- विरूपताविज्ञान- यमल एवं यमलन - अंगविकास-जनन स्तर व्युत्पन्न-अंतश्चर्मी, मध्यचर्मी एवं बहिचर्मी व्युत्पन्न।
1.3 गो-शारीरिक, क्षेत्रीय- शारीरिक : वृषभ के पैरानासीय कोटर- लारग्रंन्थियों की बहिस्तल शारीरिकी। अवनेत्रकोटर , जंभिका, चिबुक-कूषिका मानसिक एवं शूंगी तंत्रिका रोध की क्षेत्रीय शारीरिक। पराकशेरूक तंत्रिकाओं की क्षेत्रीय शारीरिक, गुह्य तंत्रिका, मध्यम तंत्रिका, अंतः प्रकोष्ठिका तंत्रिका एवं बहिः प्रकोष्ठिका तंत्रिका-अंतर्जंघिका बहिजंघिका एवं अंगुलि तंत्रिकाएं- कपाल तंत्रिकाएं-अधिदृढ़तानिका संग्याहरण में शामिल संरचनाएं- उपस्थित लसीका पर्व-वक्षीय, उदरीय तथा श्रोणीय गुहिका के अंतरांगों की बहिस्तर शारीरिक-गतितंत्र की तुलनात्मक विशेषताएं एवं स्तनपायी शरीर की जैवयांत्रिकी में उनका अनुप्रयो़ग।
1.4 कुक्कुट शारीरिकी-पेशी-कंकाली तंत्र-श्वसन एवं उड़ने के संबंध में प्रकार्यात्मक शारीरिकी, पाचन एवं अंडोत्पादन।
1.5 भेषज गुण विज्ञान एवं भेषज बलगतिकी के कोशिकीय स्तर। तरलों पर कार्यकारी औषधें एवं विद्युत अपघट्य संतुलन। स्वसंचालित तंत्रिका तंत्र पर कार्यकारी औषधें। संग्याहरण की आधुनिक संकल्पनाएं एवं वियोजी संग्याहरण। ऑटाकॉइड। प्रतिरोगाणु एवं रोगाणु संक्रमण में रसायन चिकित्सा के सिद्धांत। चिकित्साशास्त्र में हार्मोनों का उपयोग - परजीवी संक्रमणों में रसायन चिकित्सा। पशुओं के खाद्य ऊतकों में औषध एवं आर्थिक सरोकार- अर्बुद रोगों में रसायन चिकित्सा। कीटनाशकों , पौधों, धातुओं, अधातुओं, जंतुविषों एवं कवकविषों के कारण विषालुता।
1.6 जल, वायु एवं वासस्थान के संबंध के साथ पशु स्वास्थ्य विज्ञान - जल, वायु एवं मृदा प्रदूषण का आकलन- पशु स्वास्थ्य में जलवायु का महत्व -पशु कार्य एवं निष्पादन में पर्यावरण का प्रभाव -पशु कृषि एवं औद्योगीकरण के बीच संबंध- विशेष श्रेणी के घरेलू पशुओं, यथा, सगर्भा गौ एवं शूकरी, दुधारू गाय, ब्रायलर पक्षी के लिए आवास आवश्यकताएं- पशु वासस्थान के संबंध में। तनाव, श्रांति एवं उत्पादकता।
2. पशु रोग
2.1 गोपशु, भेड़ तथा अजा, घोड़ा, शूकर तथा
कुक्कुट के संक्रामक रोगों का रोगकारण, जानपदिक रोग
विज्ञान, रोगजनन , लक्षण, मरणोत्तर विक्षति, निदान, एवं नियंत्रण।
2.2 गोपशु, घोड़ा, शूकर एवं कुक्कुट के उत्पादन
रोगों का रोग कारण, जानपदिक रोग
विज्ञान, लक्षण, निदान, उपचार।
2.3 घरेलू पशुओं और पक्षियों के हीनता रोग।
2.4 अंतर्घट्टन, अफरा, प्रवाहिका, अजीर्ण, निर्जलीकरण, आघात, विषाक्तता जैसा
अविशिष्ट दशाओं का निदान एवं उपचार।
2.5 तंत्रिका वैग्यानिक विकारों का निदान एवं उपचार।
2.6 पशुओं के विशिष्ट रोगों के प्रति प्रतिरक्षीकरण के सिद्धांत एवं विधियां
यूथ प्रतिरक्षा रोगमुक्त क्षेत्र-“ शून्य” रोग संकल्पना रसायन रोग निरोध।
2.7 संग्याहरण -स्थातिक क्षेत्रीय एवं सार्वदेहिक-
संग्याहरण पूर्व औषध प्रदान। अस्थिभंग एवं संधिच्युति में लक्षण एवं शल्य व्यतिकरण। हर्निया, अवरोध, चतुर्थ आमाशयी विरथापन सिजेरियन शस्त्रकर्म। रोमथिका-छेदन- जनदनाशन।
2.8 रोग जांच तकनीक-प्रयोगशाला जांच हेतु सामग्री-पशु स्वास्थ्य
केन्द्रों की स्थापना-रोगमुक्त क्षेत्र।
3. सार्वजनिक पशु स्वास्थ्य
3.1 पशुजन्य रोग-वर्गीकरण, परिभाषा,पशुजन्य रोगों की व्यापकता एवं प्रसार में पशुओं एवं पक्षियों की भूमिका- पेशागत पशुजन्य रोग।
3.2 जानपदिक रोग विज्ञान- सिद्धांत, जानपदिक रोगों विज्ञान संबंधी पदावली की परिभाषा, रोग तथा उनकी रोकथाम के अध्ययन में जानपदिक रोगविग्यानी उपायों का अनुप्रयोग। वायु, जल तथा खाद्य जनित संक्रमणों के जानपदिक रोगविग्यानीय लक्षण। OIE विनिमय, WTO स्वच्छता एवं पादप - स्वच्छता उपाय।
3.3पशुचिकित्सा विधिशास्त्र- पशुगुणवत्ता सुधार तथा पशु रोग निवारण के लिए नियम एवं विनिमय- पशु जनित एवं पशु उत्पाद जनित रोगों के निवारण हेतु राज्य एवं केन्द्र के नियम -SPCA पशुचिकित्सा- विधिक मामले - प्रमाणपत्र- पशु चिकित्सा विधिक जांच हेतु नमूनों के संग्रहण की सामग्रियां एवं विधियां।
4. दुग्ध एवं दुग्धोत्पाद प्रौद्योगिकी
4.1 बाजार का दूध : कच्चे दूध की गुणता, परीक्षण एवं कोटि निर्धारण। प्रसंस्करण, परिवेष्टन, भंडारण, वितरण , विपणन, दोष एवं उनकी रोकथाम। निम्नलिखित प्रकार के दूध को बनाना : पाश्चुरीकृत, मानकित, टोन्ड, डबल टोन्ड, निर्जीवाणुकृत, समांगीकृत, पुनर्निमित पुनर्संयोजित एवं सुवासित दूध। संवर्धित दूध तैयार करना, संवर्धन तथा उनका प्रबंध, योगर्ट, दही, लस्सी एवं श्रीखंड। सुवासित एवं निर्जीवाणुकृत दूध तैयार करना। विधिक मानक। स्वच्छ एवं सुरक्षित दूध तथा दुग्ध संयंत्र उपस्कर हेतु स्वच्छ्ता आवश्यकताएं।
4.2 दुग्ध उत्पाद प्रौद्योगिकी : कच्ची सामग्री का चयन , क्रीम, मक्खन, घी, खोया, छेना, चीज, संघनित, वाष्पित, शुष्किलत दूध एवं शिशु आहार, आइसक्रीम तथा कुल्फी जैसे दुग्ध उत्पादों का प्रसंस्करण, भंडारण, वितरण एवं विपणन, उपोत्पाद, छेने के पानी के उत्पाद, छाछ ( बटर मिल्क ) , लैक्टोज एवं केसीन। दुग्ध उत्पादों का परीक्षण, कोटि- निर्धारण, उन्हें परखना। BIS एवं एगमार्क विनिर्देशन, विधिक मानक, गुणता नियंत्रण एवं पोषक गुण। संवेष्टन, प्रसंस्करण एवं संक्रियात्मक नियंत्रण। डेरी उत्पादों का लागत निर्धारण।
5. मांस स्वास्थ्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
5.1 मांस स्वास्थ्य विज्ञान
5.1.1 खाद्य पशुओं की मृत्यु पूर्व देखभाल एवं प्रबंध, विसंग्या, वध एवं प्रसाधन संक्रिया, वधशाला आवश्यकताएं एवं अभिकल्प ; मांस निरीक्षण प्रक्रियाएं एवं पशुशव मांसखंडों को परखना- पशुशव- मांसखंडों का कोटि निर्धारण -पुष्टिकर मांस उत्पादन में पशुचिकित्सों के कर्तव्य और कार्य।
5.1.2 मांस उत्पादन संभालने की स्वास्थ्यकर विधियां - मांस का बिगड़ना एवं इसकी रोकथाम के उपाय- वधोपरांत मांस में भौतिक- रासायनिक परिवर्तन एवं इन्हें प्रभावित करने वाले कारक-गुणता सुधार विधियां- मांस में मिलावट एवं इसकी पहचान- मांस व्यापार एवं उद्योग में नियामक उपबंध।
5.2 मांस प्रौद्योगिकी
5.2.1 मांस के भौतिक एवं रासायनिक लक्षण -मांस इम्लशन- मांसपरीक्षण की विधियां- मांस एवं मांस उत्पादन का संसाधन; डिब्बाबंदी, किरणन, संवेष्टन, प्रसंस्करण एवं संयोजन।
5.3 उपोत्पाद- वधशाला उपोत्पाद एवं उनके उपयोग- खाद्य एवं अखाद्य उपोत्पाद-वधशाला उपोत्पाद के समुचित उपयोग के सामाजिक एवं आर्थिक निहितार्थ- खाद्य एवं भैषजिक उपयोग हेतु अंग उत्पाद।
5.4 कुक्कुट उत्पाद प्रौद्योगिकी-कुक्कुट मांस के रासायनिक संघटन एवं पोषक मान-वध की देखभाल तथा प्रबंध। वध की तकनीकें, कुक्कुट, मांस एवं उत्पादों का निरीक्षण, परिरक्षण। विधिक एवं BIS मानक। अंडों की संरचना, संघटन एवं पोषक मान। सूक्ष्मजीवी विकृति। परिरक्षण एवं अनुरक्षण। कुक्कुट मांस , अंडों एवं उत्पादों का विपणन। मूल्य वर्धित मांस उत्पाद।
5.5 खरगोश\ फर वाले पशुओं की फार्मिंग - खरगोश मांस उत्पादन। फर एवं ऊन का निपटान एवं उपयोग तथा अपशिष्ट उपोत्पादों का पुनश्चक्रण। ऊन का कोटिनिर्धारण।
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