आईएएस मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम: नृविज्ञान (वैकल्पिक विषय)
सिविल सेवा मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम
नृविज्ञान (वैकल्पिक विषय)
प्रश्न पत्र - 1
1.1 नृविज्ञान का अर्थ, विषय क्षेत्र एवं विकास।
1.2 अन्य विषयों के साथ संबंध : सामाजिक विज्ञान, व्यवहारपरक विज्ञान, जीव विज्ञान, आयुर्विज्ञान, भू-विषयक विज्ञान एवं मानविकी।
1.3 नृविज्ञान की प्रमुख शाखाएं, उनका क्षेत्र तथा प्रासंगिकता :
(क) सामाजिक-सांस्कृतिक नृविज्ञान।
(ख) जैविक विज्ञान।
(ग) पुरातत्व-नृविज्ञान।
(घ) भाषा- नृविज्ञान।
1.4 मानव विकास तथा मनुष्य का आविर्भाव :
(क) मानव विकास में जैव एवं सांस्कृतिक कारक ;
(ख) जैव विकास के सिद्धांत (डार्विन- पूर्व, डार्विन कालीन
एवं डार्विनोत्तर);
(ग) विकास का संश्लेषणात्मक सिद्धांत; विकासात्मक जीव
विज्ञान की पदावली एवं संकल्पनाओं की संक्षिप्त रूपरेखा (डॉल का नियम,कोप का
नियम, गॉस का नियम, समांतरवाद, अभिसरण, अनुकूली विकिरण एवं मोजेक विकास)।
1.5 नर- वानर की विशेषताएं: विकासात्मक प्रवृत्ति एवं नर- वानर वर्गिकी; नर- वानर अनुकूलन; (वृक्षीय एवं स्थलीय) नर- वानर वर्गिकी; नर- वानर व्यवहार, तृतीयक एवं चतुर्थक जीवाश्म नर-वानर, जीवित प्रमुख नर-वानर; मनुष्य एवं वानर की तुलनात्मक शरीर- रचना; नृ संस्थिति के कारण हुए कंकालीय परिवर्तन एवं हल्के निहितार्थ।
1.6 जातिवृत्तीय स्थिति, निम्नलिखित की विशेषताएं एवं भौगोलिक वितरण:
(क) दक्षिण एवं पूर्व अफ्रीका में अतिनूतन अत्यंत नूतन होमिनिड -
आस्ट्रेलोपिथेसिन।
(ख) होमोइरेक्टस: अफ्रीका (पैरेन्प्रोपस), यूरोप (होमोइरेक्टस हीडेल बर्जेन्सिस),
एशिया।
(होमोइरेक्टस जावानिकस, होमोइरेक्टस पेकाइनेन्सिस)।
(ग) निएन्डरथल मानव-ला-शापेय- ओ-सैंत (क्लासिकी प्रकार),
माउंट कारमेस (प्रगामी प्रकार)।
(घ) रोडेसियन मानव।
(ङ)होमो- सैपिएन्स- क्रोमैग्नन,
ग्रिमाली एवं चांसलीड।
1.7 जीवन के जीववैग्यानिक आधार : कोशिका, DNA संरचना एवं प्रतिकृति, प्रोटीन संश्लेषण, जीन, उत्परिवर्तन, क्रोमोसोम एवं कोशिका विभाजन।
1.8 (क) प्रागैतिहासिक पुरातत्व विज्ञान के सिद्धांत/ कालानुक्रम : सापेक्ष एवं परम काल निर्धारण विधियां।
(ख) सांस्कृतिक विकास - प्रागैतिहासिक संस्कृति की स्थूल रूपरेखा-
(1) पुरापाषाण
(2) मध्यपाषाण
(3) नव पाषाण
(4) ताम्र पाषाण
(5) ताम्र -कांस्य युग
(6) लोह युग।
2.1 संस्कृति का स्वरूप : संस्कृति और सभ्यता की संकल्पना एवं विशेषता; सांस्कृतिक सापेक्षवाद की तुलना में नृजाति केन्द्रिकता।
2.2 समाज का स्वरूप : समाज की संकल्पना ; समाज एवं संस्कृति ; सामाजिक संस्थाएं ; सामजिक समूह ; एवं सामाजिक स्तरीकरण।
2.3 विवाह: परिभाष एवं सार्वभौमिकता; विवाह (अंतर्विवाह, बहिर्विवाह, अनुलोमविवाह, अगम्यगमन निषेध); विवाह के प्रकार(एक विवाह प्रथा, बहु विवाह प्रथा, बहुपति प्रथा, समूह विवाह)। विवाह के प्रकार्य; विवाह विनियम (अधिमान्य, निर्दिष्ट एवं अभिनिषेधक) ; विवाह भुगतान (वधू धन एवं दहेज)।
2.4 परिवार : परिभाषा एवं सार्वभौमिकता; परिवार गृहस्थी एवं गृह्य समूह ; परिवार के प्रकार्य ; परिवार के प्रकार (संरचना, रक्त- संबंध, विवाह, आवास एवं उत्तराधिकार के परिप्रेक्ष्य से) ; नगरीकरण, औद्योगिकीकरण एवं नारी अधिकारवादी आंदोलनो में परिवार पर प्रभाव।
2.5 नातेदारी : रक्त संबंध एवं विवाह, संबंध, वंशानुक्रम के सिद्धांत एवं प्रकार (एकरेखीय, द्वैध, द्विपक्षीय, उभयरेखीय) ; वंशानुक्रम, समूह के रूप (वंशपरंपरा, गोत्र, फ्रेटरी, मोइटी एवं संबंधी); नातेदारी शब्दावली (वर्णनात्मक एवं वर्गीकारक) ; वंशानुक्रम, वंशानुक्रमण एवं पूरक वंशानुक्रमण ; वंशानुक्रमांक एवं सहसंबंध।
3. आर्थिक संगठन : अर्थ, क्षेत्र एवं अर्थिक नृविज्ञान की प्रासंगिकता; रूपवादी एवं तत्ववादी बहस; उत्पादन वितरण एवं समुदायों मे विनिमय (अन्योन्यता,पुनर्वितरण एवं बाजार), शिकर एवं संग्रहण, मत्स्यन, स्विडेंनिंग, पशुचारण, उद्यानकृषि एवं कृषि पर निर्वाह; भूमंडलीकरण एवं देशी आर्थिक व्यवस्थाएं।
4. राजनैतिक संगठन एवं सामाजिक नियंत्रण : टोली, जनजाति, सरदारी, राज एवं राज्य; सत्ता, प्राधिकार एवं वैधता की संकल्पनाएं; सरल समाजों में सामाजिक नियंत्रण, विधि एवं न्याय।
5. धर्म : धर्म के अध्ययन में नृवैग्यानिक उपागम (विकासात्मक, मनोवैग्यानिक एवं प्रकार्यात्मक), एकेश्वरवाद : पवित्र एवं अपावन ; मिथक एवं कर्मकांड ; जनजातीय एवं कृषक समाजों में धर्म के रूप (जीववाद, जीवात्मावाद, जड़पूजा एवं प्रकृतिपूजा एवं गर्णाचन्हवाद); धर्म जादू एवं विज्ञान विशिष्ट ; जादुई - धार्मिक कार्यकर्ता (पुजारी, शमन, ओझा, ऐंद्रजालिक और डाइन)।
6. नृवैग्यानिक सिद्धांत :
(क) क्लासिकी विकासवाद (टाइलर, मॉर्गन एवं फ्रेजर)
(ख) ऐतिहासिक विशिष्टतावाद बोआस) : विसरणवाद (ब्रिटिश, जर्मन एवं अमरीकी)
(ग) प्रकार्यवाद (मैलिनोव्स्की) : संरचना - प्रकार्यवाद (रैडक्लिफ - ब्राउन)
(घ) संरचनावाद (लेवी स्ट्राश एवं ई लीश)
(च) संस्कृति एवं व्यक्तित्व
(बेनेडिक्ट, मीड, लिंटन,
कार्डिनर एवं कोरा - द - बुवा)
(छ) नव- विकासवाद (चिल्ड, व्हाइट, स्ट्यूवर्ड, शाहलिन्स एवं सर्विस)
(ज) सांस्कृतिक भौतिकवाद (हैरिस)
(झ) प्रतीकात्मक एवं अर्थनिरुपी सिद्धांत
(टर्नर, श्नाइडर
एवं गीर्ट्ज)।
(I) संग्यानात्मक सिद्धांत (टाइलर कॉक्सिन)
(II) नृविज्ञान में उत्तर -
आधुनिकतावाद
7. संस्कृति भाषा एवं संचार : भाषा का स्वरूप, उद्गम एवं विशेषताएं; वाचिक एवं अवाचिक संप्रेषण; भाषा प्रयोग के सामाजिक संदर्भ।
8. नृविज्ञान में अनुसंधान पद्धतियां:
(क) नृविज्ञान में क्षेत्रकार्य परंपरा
(ख) तकनीक, पद्धति एवं कार्य - विधि के बीच विभेद
(ग) दत्त संग्रहण के उपकरण : प्रेक्षण, साक्षात्कार, अनुसूचियां,
प्रश्नावली, केस, अध्ययन, वंशावली, मौखिक इतिवृत्त, सूचना के द्वितीयक स्रोत,
सहभागिता पद्धति।
(घ) दत्त का विश्लेषण, निर्वाचन एवं प्रस्तुतीकरण।
9. 1 मानव आनुवंशिकी - पद्धति एवं अनुप्रयोग : मनुष्य परिवार अध्ययन में आनुवंशिक सिद्धांतों के अध्ययन की पद्धतियां (वंशावली विश्लेषण, युग्म अध्ययन, पोष्यपुत्र, सह-युग्म पद्धति, कोशिका -जननिक पद्धति, गुणसूत्री एवं केन्द्रक प्ररूप विश्लेषण), जैव रसायनी पद्धतियां, रोधक्षमतात्मक पद्धतियां, D.N.A. प्रौद्योगिकी, एवं पुनर्योगज प्रौद्योगिकियां।
9.2 मनुष्य - परिवार अध्ययन में मेंडलीय आनुवंशिकी, मनुष्य में एकल उपादान, बहु उपादान, घातक, अवघातक एवं अनेकजीनी वंशागति।
9.3 आनुवंशिक बहुरूपता एवं वरण की संकल्पना, मेंडेलीय जनसंख्या, हार्डी - वीनवर्ग नियम; बारंबारता में कमी लाने वाले कारण एवं परिवर्तन - उत्परिवर्तन विलगन, प्रवासन, वरण, अंतःप्रजनन एवं आनुवंशिक च्युति। समरक्त एवं असमरक्त समागम, आनुवंशिक भार, समरक्त एवं भंगिनी - बंधु विवाहों के आनुवंशिक प्रभाव।
9.4 गुणसूत्र एवं मनुष्य में गुणसूत्री विपथन, क्रियाविधि :
(क) संख्यात्मक एवं संरचनात्मक विपथन (अव्यवस्थाएं)
(ख) लिंग गु्णसूत्री विपथन - क्लाइनफेल्टर (xxy), टर्नर
(xo), अधिजाया (xxx), अंतर्लिंग एवं अन्य
संलक्षाणात्मक अव्यवस्थाएं।
(ग) अलिंग सूत्री विपथन - डाउन संलक्षण, पातो, एड्वर्ड एवं क्रि- दु- शॉ संलक्षण
(घ) मानव रोगों में आनुवंशिकी अध्यकंन, आनुवंशिक
स्क्रीनिंग, आनुवंशिक उपबोधन, मानव D.N.A. प्रोफाइलिंग, जीन मैंपिंग एवं जीनोम अध्ययन।
9.5 प्रजाति एवं प्रजातिवाद, दूरीक एवं अदूरीक लक्षणों की आकारिकीय विभिन्नताओं का जीववैग्यानिक आधार। प्रजातीय निकष, आनुवंशिकता एवं पर्यावरण के संबंध में प्रजातीय विशेषक ; मनुष्य में प्रजातीय वर्गीकरण, प्रजातीय विभेदन एवं प्रजाति संकरण का जीव वैग्यानिक आधार।
9.6 आनुवंशिक चिन्हक के रूप में आयु, लिंग एवं जनसंख्या विभेद - ABO, Rh रक्तसमूह, HLA Hp, ट्रैन्स्फेरिन, Gm, रक्त एन्जाइम। शरीर क्रियात्मक ; लक्षण - विभिन्न सांस्कृतिक एवं सामाजिक - आर्थिक समूहों में Hb, स्तर, शरीर वसा, स्पंद दर, श्वसन प्रकार्य एवं संवेदी प्रत्यक्षण।
9.7 पारिस्थितिक नृविज्ञान की संकल्पनाएं एवं पद्धतियां। जैव - सांस्कृतिक अनुकूलन - जननिक एवं अजननिक कारक। पर्यावरणीय दबावों के प्रति मनुष्य की शरीर क्रियात्मक अनुक्रियाएं : गर्म मरूभूमि, शीत उच्च तुंगता जलवायु।
9.8 जानपदिक रोग विग्यानीय नृविज्ञान ; स्वास्थ्य एवं रोग। संक्रामक एवं असंक्रामक रोग। पोषक तत्वों की कमी से संबंधित रोग।
10 मानव वृद्धि एवं विकास की संकल्पना : वृद्धि की अवस्थाएं - प्रसव
पूर्व, प्रसव, शिशु, बचपन, किशोरावस्था, परिपक्वावस्था, जरत्व।
- वृद्धि एवं
विकास को प्रभावित करने वाले कारक : जननिक, पर्यावरणीय, जैव रासायनिक, पोषण संबंधी, सांस्कृतिक एवं
सामाजिक - आर्थिक।
- कालप्रभावन एवं
जरत्व। सिद्धांत एवं प्रेक्षण - जैविक एवं कालानुक्रमिक दीर्घ आयु। मानवीय शरीर
गठन एवं कार्यप्ररूप। वृद्धि अध्ययन।
की क्रियाविधियां।
11.1 रजोदर्शन, रजोनिवृत्ति एवं प्रजनन शक्ति की अन्य जैव घट्नाओं की प्रासंगिकता। प्रजनन शक्ति के प्रतिरूप एवं विभेद।
11.2 जनांकिकीय सिद्धांत - जैविक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक।
11.3 बहुप्रजता, प्रजनन शक्ति, जन्मदर एवं मृत्युदर को प्रभावित करने वाले जैविक एवं सामाजिक - आर्थिक कारण।
12 नृविज्ञान के अनुप्रयोग ; खेलों का नृविज्ञान, पोषणात्मक नृविज्ञान, रक्षा एवं अन्य उपकरणों की अभिकल्पना में नृविज्ञान, न्यायालयिक नृविज्ञान, व्यक्तिगत अभिज्ञान एवं पुनर्रचना की पद्धतियां एवं सिद्धांत। अनुप्रयुक्त एवं मानव आनुवंशिकी - पितृत्व निदान, जननिक उपबोधन एवं सुजननिकी, रोगों एवं आयुर्विज्ञान में DNA प्रौद्योगिकी, जनन - जीवविज्ञान में सीरम - आनुवंशिकी तथा कोशिका- आनुवंशिकी।
प्रश्न पत्र - 2
1.1 भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का विकास - प्रागैतिहासिक (पुरापाषाण, मध्यपाषाण, नवपाषाण तथा नवपाषाण- ताम्रपाषाण)। आद्याऐतिहासिक (सिंधु सभ्यता) : हड़प्पा - पूर्व, हड़प्पाकालीन एवं पश्च - हड़प्पा संस्कृतियां। भारतीय सभ्यता में जनजातीय संस्कृतियों का योगदान।
1.2 शिवालिक एवं नर्मदा द्रोणी के विशेष संदर्भ के साथ भारत से पूरा- नृवैग्यानिक साक्ष्य (रामापिथकस, शिवापिथेकस एवं नर्मदा मानव)।
1.3 भारत मे नृजाति - पुरातत्व विज्ञान ; नृजाति - पुरातत्व विज्ञान की संकल्पना : शिकारी, रसदखोजी, मछियारी, पशुचारक एवं कृषक समुदायों एवं कला और शिल्प उत्पादक समुदायों में उत्तरजीवक एवं समांतरक।
2. भारत की जनांकिकीय परिच्छेदिका - भारतीय जनसंख्या एवं उनके वितरण में नृजातीय एवं भाषायी तत्व। भारतीय जनसंख्या - इसकी संरचना और वृद्धि को प्रभावित करने वाले कारक।
3.1 पारंपरिक भारतीय सामाजिक प्रणाली की संरचना और स्वरूप - वर्णाश्रम, पुरुषार्थ, कर्म ऋण एवं पुनर्जन्म।
3.2 भारत में जाति व्यवस्था - संरचना एवं विशेषताएं, वर्ण एवं जाति, जाति व्यवस्था के उद्गम के सिद्धांत, प्रबल जाति, जाति गतिशीलता, जाति व्यवस्था का भाविष्य, जजमानी प्रणाली, जनजाति- जाति सातत्यक।
3.3 पवित्र- मनोग्रन्थि एवं प्रकृति- मनुष्य- प्रेतात्मा मनोग्रन्थि।
3.4 भारतीय समाज पर बौद्ध धर्म, जैन धर्म, इस्लाम और ईसाई धर्म का प्रभाव।
4. भारत में नृविज्ञान का आविर्भाव एवं संवृद्धि-18वीं 19वीं एवं प्रारंभिक 20 वीं शताब्दी के शास्त्रज्ञ - प्रशासकों के योगदान। जनजातीय एवं जातीय अध्ययनों में भारतीय नृवैग्यानिकों के योगदान।
5. 1 भारतीय ग्राम; भारत में ग्राम अध्ययन का महत्व; सामाजिक प्रणाली के रूप में भारतीय ग्राम; बस्ती एवं अंतर्जाति संबंधों के पारम्परिक एवं बदलते प्रतिरूप : भारतीय ग्रामों में कृषिक संबंध : भारतीय ग्रामों पर भूमंडलीकरण का प्रभाव।
5.2 भाषायी एवं आर्थिक अल्पसंख्यक एवं उनकी सामाजिक,राजनैतिक तथा आर्थिक स्थिति।
5.3 भारतीय समाज में सामाजिक - सांस्कृतिक परिवर्तन की देशीय एवं बहिजांत प्रक्रियाएं- संस्कृतिकरण, पश्चिमीकरण, आधुनीकीकरण; छोटी एवं बड़ी परम्पराओं का परस्पर - प्रभाव ; पंचायतीराज एवं सामाजिक परिवर्तन ; मीडिया एवं सामाजिक परिवर्तन।
6.1 भारत में जनजातीय स्थिति - जैव जननिक परिवर्तितता, जनजातीय जनसंख्या एवं उनके वितरण की भाषायी एवं सामाजिक - आर्थिक विशेषताएं।
6.2 जनजातीय समुदायों की समस्याएं- भुमि संक्रामण, गरीबी, ऋणग्रस्तता, अल्प साक्षरता, अपर्याप्त शैक्षिक सुविधाएं, बेरोजगारी, अल्परोजगारी, स्वास्थ्य तथा पोषण।
6.3 विकास परियोजनाएं एवं जनजातीय स्थानांतरण तथा पुनर्वास समस्याओं पर उनका प्रभाव। वन नीतियों एवं जनजातियों का विकास। जनजातीय जनसंख्या पर नगरीकरण तथा औद्योगिकीकरण का प्रभाव।
7.1 अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों एवं अन्य पिछ्ड़े वर्गों के पोषण तथा वंचन की समस्याएं। अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लिये सांविधानिक रक्षोपाय।
7.2 सामाजिक परिवर्तन तथा समकालीन जनजाति समाज : जनजातियों तथा कमजोर वर्गों पर आधुनिक लोकतांत्रिक। संस्थाओं, विकास कार्यक्रमों एवं कल्याण उपायों का प्रभाव।
7.3 नृजातीयता की संकल्पना : नृजातीय द्वंद एवं राजनैतिक विकास : जनजातीय समुदायों के बीच अशांति ; क्षेत्रीयतावाद एवं सवायत्तता की मांग ; छदम जनजातिवाद ; औपनिवेशिक एवं स्वातंत्र्योत्तर भारत के दौरान जनजातियों के बीच सामाजिक परिवर्तन।
8.1 जनजातियों एवं समाजों पर हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म, ईसाई धर्म, इस्लाम तथा अन्य धर्मों का प्रभाव।
8.2 जनजाति एवं राष्ट्र राज्य - भारत एवं अन्य देशों में जनजातीय समुदायों का तुलनात्मक अध्ययन।
9.1 जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन का इतिहास, जनजाति नीतियां, योजनाएं, जनजातीय विकास के कार्यक्रम एवं उनका कार्यान्वयन। आदिम जनजातीय समूहों (PTGs) की संकल्पना, उनका वितरण, उनके विकास के विशेष कार्यक्रम। जनजातीय विकास में गैर सरकारी संगठनों की भूमिका।
9.2 जनजातीय एवं ग्रामीण विकास में नृविज्ञान की भूमिका।
9.3 क्षेत्रीयतावाद, सांप्रदायिकता, नृजातीय एवं राजनैतिक आंदोलनों को समझने में नृविज्ञान का योगदान।
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